दुष्कर्म का आराेपी सत्येंद्र शर्मा के साथ मिलकर न्यू शिवाय हाॅस्पिटल का मालिक डीके राय करता है मरीजाें की तस्करी, इसके लिए सरकारी एंबुलेंस संचालकाें का लेता है मदत
हर मरीज एम्बुलेंस चालकों को देता है 20 हजार रुपये
गाेरखपुर: शहर में इन दिनाें एक फर्जी अस्पताल व फर्जी पत्रकार का आतंक है, ये मरीजों को इलाज की जगह कंगाल बना रहा है। मामला तारामंडल स्थित न्यू शिवाय हॉस्पिटल का है। इसका डायरेक्ट डीके राय अपने यहां मरीजाें काे लाने के लिए सरकारी एंबुलेंस संचालकाें काे मैनेज करता है। इसके तहत ये एंबुलेंस संचालक जिले के किसी भी क्षेत्र के मरीज काे इसी अस्पताल में लाते हैं। इसके बदलें डीके राय एंबुलेंस सचालक काे प्रति मरीज 20 हजार रुपए तक देता है। इसके बाद डीके राय मरीजाें काे अपने अस्पताल में भर्ती कराता है और इलाज के नाम पर उनसे लाखाें की उगाही करता है। मरीज से माेटी रकम लेने के लिए डीके राय उन्हें गंभीर बीमारी का डर दिखलाकर आईसीयू में डाल देता है और फिर हर दिन के हिसाब से 30 हजार रुपए तक चार्ज करता है। यहां मरीजाें काे इलाज के नाम पर आईसीयू में करीब एक सप्ताह तक रखा जाता है। ऐसे में मरीजाें का बिल 2 से ढाई लाख रुपए तक पहुंच जाता है। चुंकि अधिकतर मरीज ग्रामीण क्षेत्र से जुडे हाेते हैं ऐसे में वे आसानी से इसके जाल में फंस जाते हैं। ऐसे में मरीज से गाढ़ी कमाई कर कराेड़ाें रुपए का सामराज्य खड़ा कर लिया है। हालांकि अब डीके राय के खिलाफ लाेग मुखर हाेने लगे हैं यही वजह है कि उसके खिलाफ आयकर विभाग व लाेकायुक्त में शिकायत दर्ज करायी गयी है।
पैसा न देने वाले मरीजाें के साथ की जाती है मारपीट:
इस अस्पताल में ईलाज कराने वाला मरीज अगर गरीब है और वह अस्पताल के भारी भरकम बिल काे देने में असमर्थता जताता है ताे डीके राय का पार्टनर सत्येंद्र शर्मा इन मरीजाें काे अपने गुंडाें से पिटवाता है। जब मरीज इसकी शिकायत पुलिस में करने जाता है ताे सत्येंद्र शर्मा खुद काे पत्रकार बताकर उन्हें धाैंस दिखाता है। यहां तक की उनके खिलाफ फर्जी खरब चलाने की धमकी देता है। इससे मरीज डर जाते हैं और वे पुलिस में शिकायत तक नहीं दर्ज करा पतें हैं। जबकि पूरे शहर काे पता है कि सत्येंद्र शर्मा एक फर्जी पत्रकार है। जिसका काम लाेगाें काे धमकार उगाही करना है। सत्येंद्र शर्मा बलात्कार के आराेप में जेल भी जा चुका है।
तीन साल में कर्मचारी से डीके राय बन गया अस्पताल मालिक:
डीके राय ने किस प्रकार मरीजाें काे लूटा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तीन साल पहले तक वह शहर के मृत्युंजय अस्पताल में 5 हजार रुपए में नाैकरी करता था। यही से उसने एंबुलेंस संचालकाें से सांठ गांठ कर उनके दम पर खुद अस्पताल खाेल लिया। इसके बाद मरीजाें काे इलाज के नाम पर ठग कर कराेड़ाें की संपत्ति बना ली।